हम नज़र भर देख लेते थे उसे, उसकी आँखों में
भी वही बात हुआ करती थी
अचानक से रूककर उसका पलट कर देखना
फिर गैरों से हसकर बातें हमे जलlने का अंदाज़
हुआ करती थी
पहरो किया करता था मै उससे मिलने का इंतज़ार
मुझे न देख उसकी आँखे भी उदास हुआ करती थी
करती न थी वो मेरे इश्क़ पर ऐतबार
पर दोस्तों संग न देख मुझे परेशान हुआ करती
थी
पसंद था उसका जो लिबास मुझे
अक्सर वो उसमे नज़रों- अंदाज़ हुआ करती थी
वैसे तो अंधेरो में रहना पसंद था उसे
पर सुन मेरी आवाज़ छज्जे पर रुखसार हुआ करती
थी
उससे कह न सके हम अपने दिल का राज़
जो कभी हमारी हमराज़ हुआ करती थी
अब वो नहीं, पर है उसका एहसास यही
हर पल तरसती आँखों को कही कोई आस नहीं
उसको देखे बिन गुजर जाएगी शायद ये ज़िन्दगी
ज़िन्दगी जो कभी उसकी मोहताज हुआ करती थी.
~Gaurav
Yadav
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