Gaurav Yadav
Tuesday, February 19, 2019
Wednesday, July 18, 2018
तुम छत पर चली आना.
सुनो कल जब बारिशें आए, तुम छत पर चली आना,
सर को भले ही ढक लेना, मगर चेहरा ना छुपाना,
दूर अपनी खिड़की से मैं तुम्हारी आँखें पढता हूँ,
जो नज़रें मुझसे टकराए तुम पलकें ना झुकाना.
सुनो कल जब बारिशें आए तुम छत पर चली आना.
कुछ देर फिर यूं ही खड़े रहना, कभी बाजुओं को फैलाना,
मैं तुम्हारी बाहों में हूँ, मुझे इशारों में बतलाना,
ढल जाती हैं शामें अक्सर फिजाओं में जिनके खुलने से,
अपनी काली जुल्फों को तुम हवाओं में लहराना.
सुनो कल जब बारिशें आए, तुम छत पर चली आना.
कई साल गुज़ारें हैं मैंने इस इंतज़ार के,
इन बारिशों में मुझ संग तुम यूं भीग जाना,
गर्मी तुम्हारी साँसों की मेरे जिस्म में बस जाएगी,
बस जाते जाते हथेलियां अपनी मेरे माथे पे रख जाना.
सुनो कल जब बारिशें आए, तुम छत पर चली आना.
-Gaurav Yadav
Saturday, December 2, 2017
इंतज़ार
#FridayFotoFiction
(Dec 02, 2017)
1 दिसंबर की वो रात सामान्य रात की तरह थी मगर उस रात नींद मेरी आँखों से कोसो दूर थी. सोने की हर कोशिश करके भी जब नींद ने मेरी आँखों में दस्तक नहीं दी तो मैंने कमरे की लाइट जलाई और कुछ पुराने खत निकाल कर पढ़ने बैठ गया.
पिछले दो सालों से मैं और प्रिया अलग अलग शहरों में रह रहे थे. 3 सालों तक साथ रहने के बाद अलग रहने का फैसला भी प्रिया का ही था और आज पूरे दो साल बाद प्रिया मुझसे मिलने आ रही थी. मैं उसे रिसीव करने ठीक 5 बजे स्टेशन पर पहुंच गया. रेलवे स्टेशन में लगी बड़ी सी गोल घडी ने जैसे ही 5:10 का समय दिखाया ट्रेन के आने का अनाउंसमेंट हो चुका था.
मैं भाग कर प्लेटफार्म पहुंच गया. हर उतरने वाले सवारी के चेहरे को मैं ध्यान से देखता और उसमे प्रिया को ना पाकर फिर अगले सवारी में प्रिया को खोजने लगता. एक एक करके लगभग सारे सवारी बहार आ चुके थे.
प्रिया कहा थी? क्या उसे मुझसे मिलने की जल्दी नहीं थी? कही वो अंदर सामान के साथ मेरा इंतज़ार तो नहीं कर रही थी?
मैं डिब्बे के अंदर पंहुचा पर अंदर भी प्रिया कही नहीं थी. B1 ही तो उसने अपना डिब्बा बताया था. मैंने तुरंत प्रिया का नंबर डायल किया, हो सकता है उसे बताने में कोई गलती हो गई हो पर प्रिया का नंबर बंद था. कुछ देर बाद ट्रेन जा चुकी थी और प्रिया कही नहीं थी. मैंने कई बार उसका नंबर लगाया पर वो अब तक बंद था. कई घंटे इंतज़ार करने के बाद मैं वापस घर आ गया. अब तक प्रिया का नंबर बंद था.
उस रात को कई साल बीत चुके हैं. मैं आज भी कई बार स्टेशन पर जाकर घंटो तक उस बड़ी सी घडी को निहारते बैठा रहता हूँ, क्या पता किस दिन मेरा इंतज़ार पूरा हो जाए.
-By Gaurav Yadav
Saturday, November 11, 2017
Head Over Heels
#FridayFotoFiction
(Nov 11, 2017)
Doorbell rings. Priya
ran to open the door. Dad asks for the person.
“Plumber, Dad, the
shower in my washroom is not working,” Priya lied.
“Oh, ok and you mister
plumber, this is the fourth time you are coming here and could not detect a
simple problem on shower. Check carefully or I will call someone else,” Dad
said and got busy with the newspaper.
“Sure sir,” he pulled
the hammer from his pants and went to Priya’s room.
As soon as they reached
inside, Priya locked the room and shouted. “Have you gone mad? Dad will kill me
if he gets to know that my boyfriend comes here as plumber.”
“But what should I do?
I can’t live without you,” he replied and hugged Priya.
“Shut up and repair my
shower,” Priya smiled and dragged him to the washroom.
“Sure madam,” he winked
and opened the tap of the shower.
Once again, Shower was
working fine.
-By Gaurav Yadav
Tuesday, October 31, 2017
THE COST OF HER SMILE
#FridayFotoFiction
(Oct 31, 2017)
Lavish house. Expensive cars. Rich lifestyle. High paying
job.
What else I should expect from the life.
He thought when he saw the newspaper. He was again featured
on the first page of the Business Daily.
Everyone thinks he is the most successful person, but they
don’t know there are some things which he cannot buy even today.
“Definitely money can buy everything, but still some things
are out of its league and love is one of them.”
She married to him because he was very protective towards
her, but after the marriage, he became careless.
With the time, his pockets were getting heavier, and the
wall between them was getting bigger.
Now only he orders and she listens.
He never asks her about her feelings. Romantic dinners had
become business talks. Outings had become business trips.
He had the power to buy anything
except a smile for her face.
-By Gaurav Yadav
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