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Thursday, March 2, 2017





एक चेहरा जो कभी जाना पहचाना सा था,
हर रोज़ उभर आता है जैसे कोई जख्म पुराना सा था,
अब तो मेरा नाम सुनकर भी उसे फर्क नहीं पड़ता होगा,
पर यही नाम किसी ज़माने में उसका ठिकाना सा था.

-Gaurav Yadav



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