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Sunday, October 15, 2017

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#FRIDAYFOTOFICTION (OCT 15, 2017)


अपनी शिफ्ट ख़त्म करके मैं और माधव घर जा रहे थे. मैं कुछ देर पहले हुई बारिश से भीगी सड़क से उठते हुए धुए को देख रहा था. अचानक रोड के किनारे मुझे कुछ दिखाई दिया.

'माधव प्लीज गाडी रोको', मैंने तेज़ी से अपनी सीट पर बैठते हुए कहा.

माधव ने गाडी रोकी और हम दोनों उस जगह पहुँच गए. सड़क के किनारे एक छोटा सा परिवार था जिसमे दो बहुत ही छोटे बच्चे घटना से अनजान खेल रहे थे मगर उनकी माँ के पैरों से खून बह रहा था, शायद किसी ने उसके पैरों को कुचल दिया था.

मैंने माधव की मदद से उन्हें तुरंत गाडी में लिया और हम पास के हॉस्पिटल पहुँच गए. तक़रीन आधे घंटे बाद हमे डॉक्टर ने कहा की हम उन्हें घर ले जा सकते हैं.

मैं ये बात जनता था की सोसाइटी हमे ऐसे किसी को रखने की अनुमति देगी नहीं और शाम के 8 बजे उनके लिए एक घर खोज पाना आसान नहीं था. तभी माधव ने सुझाव दिया की अगर हम उन्हें पार्किंग पे आज रात सोने की जगह बना दे तो किसी को पता भी नहीं चलेगा और सुबह हम उन्हें किसी सुरक्षित जगह पहुंचा सकते हैं.

तुरंत ही घर पहुँच कर हमने कुछ कागज़ के खाली कार्टन लिए और कुछ पुराने कपडे मैं घर से ले आया. चंद ही मिनटों में उनका नया घर तैयार था.

सुबह जब मैं और माधव पार्किंग में पहुँच तो कुत्ते के वो दो छोटे बच्चे खेल रहे थे और उनकी माँ जो कल रात घायल थी आज आराम से बैठी अपने बच्चो को खेलता हुआ देख रही थी.

उन्हें उनका नया घर शायद हमारे पार्किंग में मिल चुका था.

-By Gaurav Yadav


This post is part of #FridayFotoFiction, held by Tina and Mayuri






9 comments:

  1. Such a lovely story on the prompt Gaurav .They would never forget your loving gesture of keeping them safe in this temporary home.

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  2. Gaurav... that was a cute, adorable tale. You maintained the secret so well till end!
    Anagha has recently posted Mute Witness

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  3. Such a beautiful story, Gaurav. I did not guess till the end.
    Thank you for writing for #FridayFotoFiction

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  4. Lovely narrative Gaurav. Thanks for linking up with #FridayFotoFiction

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